श्री हरि
अनन्त कोटि ब्रम्हाण्ड नायक परात्पर परब्रह्म परमात्मा भगवान श्री कृष्ण की पावन जन्मस्थली,श्री मथुरा पूरी और अनेकानेक सन्त, भक्तों की तपस्थली श्री वृन्दावन धाम जहाँ कृष्ण प्रिया माँ यमुना नदी का कल कल करता हुआ जल सभी को अपनी और आकर्षित करता है। ऐसी पवित्र भूमि में पूज्य पण्डित श्री उपेन्द्र चतुर्वेदी जी का जन्म जेष्ठ शुक्ल पक्ष तृतीया वि. सं.2036 तद्नुसार दिनांक 05 - 05 - 1979 को माथुर चतुर्वेद ब्राम्हण परिवार में हुआ आपके पितामह चतुर्वेद भूषण पं. श्री लालन जी पाठक कर्मकांड,ज्योतिष, के महान विद्वान थे श्री शास्त्री जी के माता पिता श्री रमेश चंद्र जी पाठक एवं माता श्रीमती मंजू देवी जी अत्यंत धार्मिक, गृहस्थ, समाजसेवी है
शास्त्री जी की प्रारंभिक शिक्षा मथुरा पुरी के मूर्धन्य विद्धान वेदमूर्ति पं. श्री हरदेव जी चतुर्वेद:
के द्वारा प्रारम्भ हुई तत्पश्चात पुष्टिमार्गीय बृजमण्डल के मूर्धन्य विद्धान श्री पुष्टि भागवत कथाकार पं. श्री मनोहरलाल शास्त्री (व्याकरणाचार्य ) जी के चरणों मे बैठकर भागवत जी का अध्ययन किया।
श्री रत्नमोती संस्कृत विद्यालय में 7 वर्ष रहकर शास्त्री परीक्षा उत्तीर्ण की तथा उपेन्द्र शास्त्री नाम से विभूषित हुए।
श्रीनिम्बार्क सम्प्रदाय अंतर्गत श्री हरिदासी उपासना श्री टटिया स्थान श्री धाम वृन्दावन से मंत्र दीक्षा प्राप्त की।
शास्त्री जी बाल्यकाल से ही सनातन धर्म के संरक्षण और उत्थान के प्रति संकल्पित है। और निरन्तर इस दिशा में प्रयत्नशील है।

वर्तमान समय मे गौ संरक्षण आवश्यक ,गौ महिमा, सेवा फल
मित्रो, भारतवर्ष एक पुण्य भूमि है। गौ रक्षा के कारण भारतवर्ष का पुण्यभूमि नाम चरितार्थ होता है,
कोई भी महान कार्य सामूहिक प्रयास के बिना सफल नहीं हो सकता।
जब भगवान कृष्ण से पूछा गया कि उन्होंने गोवर्धन पर्वत कैसे उठाया, तो उन्होंने उत्तर दिया:
"कुछ शक्ति मुझे खाए गए मक्खन से मिली, और कुछ गोपों की मदद से। श्री राधा रानी की कृपा से मैं गिरिराज को उठाने में सक्षम हुआ।"
उन्होंने सभी को इसका श्रेय दिया। इसी भावना से, श्री श्यामा श्याम सेवा ट्रस्ट आपको गोरक्षा और संरक्षण के इस पवित्र मिशन का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित करता है।
गौ माता और उसकी संतान को बचाने और बढ़ावा देने के महान कार्य में आज हमारे साथ जुड़ें।
हरे कृष्ण